आज के माहौल पर कार्टूनी नज़र.......!
बेचारे बाबा को लगता था कि राजनीति में भी लोग ठीक उसी तरह हाथ बांधे आगे—पीछे घूमते मिलेंगे जैसे योग शिविरों में. बाबा को अब शायद कुछ समझ आए
बेचारे बाबा को लगता था कि राजनीति में भी लोग ठीक उसी तरह हाथ बांधे आगे—पीछे घूमते मिलेंगे जैसे योग शिविरों में. बाबा को अब शायद कुछ समझ आए
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